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बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2657
आईएसबीएन :0

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बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान

प्रश्न- वुचरेरिया बैन्क्रोफ्टाई के वितरण, स्वभाव, आवास तथा जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।

अथवा
फाइलेरिया रोगजनक परजीवी की संरचना एवं जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।
अथवा
वुचरेरिया बैकक्राफ्टाई के जीवन चक्र एवं रोगजन्यता का वर्णन कीजिए।
अथवा
वुचेरिया बैन्क्रोफ्टाई के जीवन-चक्र, रोगजनकता एवं नियन्त्रण का वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. वुचरेरिया बैन्क्रोफ्टाई के वितरण पर टिप्पणी लिखिए।
2. फाइलेरिया उत्पन्न करने वाले कृमि के स्वभाव एवं आवास पर टिप्पणी लिखिए।
3. वुचरेरिया बैन्क्रोफ्टाई की संरचना का वर्णन कीजिए।
4. वुचरेरिया बैन्क्रोफ्टाई के जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

वुचरेरिया बैन्क्रोफ्टाई (फाइलेरिया कृमि)
(Wuchereria bancrofti- Filarial Worm)

वर्गीकृत स्थिति (Systematic Position) :

संघ (Phylum) - निमेटोडा (Nematoda)
वर्ग (Class) - फास्मीडिया (Phasmidia)
गण (Order) - फाइलेरॉइडिया (Filaroidea)
कुल (Family) - फाइलेरिडी (Filariidae)
वंश (Genus) - वुचरेरिया (Wuchereria)
जाति (Species) - बैन्क्रोफ्टाई (bancrofti)

वितरण (Distribution) : वुचरेरिया बैन्क्रोफ्टाई पूरे विश्व में पाया जाता है ध्रुवीय क्षेत्रों को छोड़कर। यह कृमि मुख्यतः उष्ण कटिबंधीय, उपोष्ण तथा शीतोष्ण प्रदेशों में पाया जाता है। भारत, वेस्ट इन्डीज, दक्षिणी चीन, मलाया, जापान, कोरिया, ब्राजील तथा दक्षिणी प्रशान्त द्वीपों आदि देशों में यह कृमि अधिक सक्रिय होता है।

स्वभाव एवं आवास (Habit and Habitat) : यह सामान्य रूप से 'फाइलेरिया कृमि (filarial worm) के नाम से जाना जाता है। ये छोटे-छोटे कृमि लसीका तंत्र एवं सयोंजी ऊतकों में रहते हैं और रात को परिभ्रमण करते हुए रुधिर में भी पाए जाते हैं। यह एक द्विपोषदीय परजीवी है जो अपना जीवन चक्र दो पोषकों में पूर्ण करता है। इस कृमि का प्राथमिक पोषक मनुष्य तथा द्वितीयक पोषक रक्त चूषक कीट, सामान्यत: क्यूलेक्स या ऐडीज मच्छर होता है।

 

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वुचरेरिया बैन्क्रोफ्टाई : (A) मादा का अग्र भाग (B) माइक्रोफाइलेरिया

संरचना (Structure) : वयस्क वुचरेरिया बैन्क्रोफुटाई का शरीर क्रीमी सफेद, बेलनाकार तथा सूत्राभ (filiform) होता है। शरीर के अग्र व पश्च सिरे कुंठित होते हैं। नर का पश्च सिरा मुड़ा हुआ होता है। शरीर चिकने एवं अर्ध-पारदर्शी स्तर से ढका होता है। यह कृमि लैंगिक द्विरूपता दर्शाता है। मादा कृमि की लम्बाई 65 - 100 मिमी तथा व्यास 0.25 मिमी होता है। नर कृमि की लम्बाई 40 मिमी तथा व्यास 0.1 मिमी होता है। मुख सामान्य एवं ओष्ठ विहीन होता है। फैरिंक्स अथवा इसोफेगस अग्र माँसपेशीय भाग तथा पश्च ग्रन्थिल भाग में बँटा होता है। मादा का पश्च भाग सीधा एवं कुंठित होता है, जबकि नर का पश्च भाग अत्यधिक मुड़ा हुआ होता है। नर के पश्च सिरे पर जेनिटल पैपिली, दो असमान कपुलेटरी स्पीक्यूल्स (two unequal copulatory spicules) तथा कॉडल एली (caudal alae) उपस्थित होते हैं। मादा में जेनिटल छिद्र कैरेन्जियल भाग में स्थित होता है।

जीवन चक्र (Life Cycle) : फाइलेरिया कृमि द्विपोषदीय होता है। इसका जीवन चक्र दो पोषकों में पूर्ण होता है। जब पोषक की लसीका ग्रन्थियों में लैंगिक रूप से परिपक्व नर व मादा कृमि उपस्थित होते हैं तो पोषक के शरीर में ही मैथुन होता है। मैथुन के पश्चात् अण्डे मांदा के शरीर में ही रहते हैं। मादा किशोरों को जन्म देती है, जिन्हें माइक्रोफाइलेरी कहते हैं। माइक्रोफाइलेरी सूक्ष्मदर्शीय होते हैं जिनकी लम्बाई 0.2-0.3 मिमी होती है। प्रत्येक माइक्रोफाइलेरी एक पतले कोमल झिल्लीसम आवरण से ढका रहता है। इनमें वयस्क संरचना के कई अवशेषी अंग पाए जाते हैं। देह भित्ति चपटी एपीडर्मल कोशिकाओं के एकल स्तर की बनी होती है। कोशाद्रव्य के भीतरी कॉलम में केन्द्रक होते हैं। अवशेषी अंगों में निम्नलिखित संरचनाएँ होती हैं -

(i) भावी मुख (future mouth)
(ii) तंत्रिका वलय पट्टी (nerve ring band),
(iii) नेफ्रिडियोपोर एवं ब्लैडर,
(iv) भीतरी कोशिका संहति (internal cell mass),
(v) रेनेट कोशिका (renette cell),
(vi) चार बड़ी कोशिकाएँ,
(vii) भावी गुदा।

माइक्रोफाइलेरी लसीका वाहिनियों में मुक्त कर दिए जाते हैं। जहाँ से ये रक्त वाहिनियों में प्रवेश कर जाते हैं तथा रक्त में तैरते रहते हैं। अब ये थोरेक्स में गहराई में स्थित रक्त वाहिनियों में पहुँच जाते हैं। यदि इन माइक्रोफाइलेरी को मच्छरों द्वारा रक्त के माध्यम से नहीं चूसा जाता है तो 70 दिन के अन्दर ये नष्ट हो जाते हैं। माइक्रोफाइलेरी मनुष्य के रक्त में दिन व रात का आवर्तन (periodicity) प्रदर्शित करते हैं जिसे दैनिक आवर्त (diurnal ryhthm) कहते हैं। माइक्रोफाइलेरी त्वचा के नीचे की रुधिर वाहिनियों में रात के 10 बजे से सुबह 2 बजे के बीच पहुँचते हैं शेष दिन के समय अन्दर की रुधिर वाहिनियों में रहते हैं। यहाँ से ये रात्रिचर मच्छरों द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं जो कि माध्यमिक या द्वितीयक पोषक की भाँति कार्य करते हैं।

मच्छर में जीवन चक्र (Life Cycle in Mosquito) : मच्छर के आमाशय में माइक्रोफाइलेरी का आवरण नष्ट हो जाता है और ये आमाशय की भित्ति को भेदकर वक्षीय पेशियों (thoracic muscles) में पहुँच जाते हैं। यहाँ 10 दिन में लगभग ये दो बार निर्मोचन करते हैं और तृतीय लारवा अवस्था में या संक्रमणकारी किशोरावस्था में पहुँच जाते हैं।

कायान्तरण के दौरान पहले ये मोटे गोले आकार के माँस के टुकड़े के रूप में दिखाई देते हैं इसके पश्चात् ये लम्बे आकार के हो जाते है तथा अंत में ये लम्बे व पतले आकार के हो जाते हैं।

नये मानव पोषद में संक्रमण (Infection of New Human Host) : अब संक्रमणकारी किशोर मच्छर के प्रोबोसिस (तुण्ड) में पहुँच जाते हैं। संक्रमणकारी किशोरवस्था में कीट लगभग 1.5um लम्बा होता है। जब मच्छर किसी स्वस्थ मनुष्य को काटता है तो तृतीय अवस्था के लारवा मनुष्य के रुधिर प्रवाह में पहुँच जाते हैं जहाँ से ये लसीका वाहिनियों तथा0020लसीका मार्ग में पहुँच कर वयस्क अवस्था में विकसित हो जाते हैं। लैंगिक परिपक्वता प्राप्त करने के पश्चात् ये नया जीवन चक्र प्रारम्भ करते हैं।

 

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वुचरेरिया बैन्क्रोफ्टाई का जीवन चक्र

रोगजन्यता एवं नियंत्रण

फाइलेरिया रोग को 'हाथीपाँव' या 'फीलपाँव' (elephantiasis) के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग वुचरेरिया बैन्क्रोफ्टाई नामक निमेटोड कृमि द्वारा उत्पन्न किया जाता है। फाइलेरिया कृमि मनुष्य के लसीका तंत्र में रहते हैं। ये लसीका के प्रवाह को अवरुद्ध कर देते हैं, जिससे एक घातक अवस्था उत्पन्न हो जाती है, जिसे 'फीलपाँव' कहते हैं। इस रोग में भुजाएँ तथा शरीर के अन्य अंग आकार में अत्यधिक बड़े हो जाते हैं।

निदान (Diagnosis) : माइक्रोफाइलेरी के अभिरजन के पश्चात् ही उसके अध्ययन द्वारा फाइलेरिया का निदान सम्भव है। विभिन्न प्रजातियों के माइक्रोफाइलेरी की पहचान उनके विशिष्ट आकार एवं बाह्य आकारिकीय लक्षणों को जानने के पश्चात् ही की जा सकती है।

रोगजनकता एवं लक्षण (Pathogenicity and Symptoms) : वुचरेरिया बैन्क्रोफ्‌टाई के सामान्य संक्रमण से फाइलेरिया ज्वर तथा सिर दर्द होता है। गंभीर संक्रमण की अवस्था में जीवित अथवा मृत कृमियों के लसीका वाहिनियों तथा ग्रन्थियों में एकत्र हो जाने से लसीका के प्रवाह का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है जिसके फलस्वरूप विभिन्न रोगात्मक दशाएँ उत्पन्न हो जाती हैं। लसीका प्रवाह का मार्ग अवरुद्ध हो जाने से पैर, हाथ, स्तन तथा वृषणकोष अत्यधिक सूज जाते है। जिसको फीलपाँव कहते हैं। गम्भीर मामलों में असामान्य संयोजी ऊतक प्रभावी क्षेत्रों में निर्मित हो जाते हैं जो आगे चलकर अत्यधिक गंभीर दशा उत्पन्न करते हैं।

रोकथाम एवं नियंत्रण (Prevention and Control) : फाइलेरिया कृमियों के उन्मूलन के लिए कोई प्रभावकारी औषधि नहीं है। सायनिन रंजक तथा डाइएथिलकार्बेमेजीन के प्रयोग से कुछ सफलता प्राप्त की जा सकती है। इस रोग से बचने का सबसे प्रभावकारी उपाय मच्छर के काटने से बचना ही है। प्रत्येक उपाय से मच्छर के प्रजनन को रोकना चाहिए। अधिक बड़ी सूजन को कभी-कभी शल्य चिकित्सा द्वारा भी दूर किया जाता है।

 

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- कोशा कला की सूक्ष्म संरचना जानने के लिए सिंगर और निकोल्सन की तरल मोजैक विचारधारा का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- कोशिका सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? प्राणि कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए तथा पाँच कोशिका उपांगों के मुख्य कार्यों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- निम्नलिखित वैज्ञानिकों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (i) एन्टोनी वान ल्यूवेन हॉक (ii) श्लीडेन तथा श्वान्स
  4. प्रश्न- अन्तरकोशिकीय संचार या कोशिका कोशिका अन्तर्क्रिया पर टिप्पणी लिखिए।
  5. प्रश्न- कोशिका-एडहेसन का वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (i) माइक्रोट्यूब्ल्स (ii) माइक्रोफिलामेन्टस (iii) इन्टरमीडिएट फिलामेन्ट
  7. प्रश्न- माइटोकॉण्ड्रिया की संरचना व कार्यों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम की संरचना तथा कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- राइबोसोम की संरचना एवं कार्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- परऑक्सीसोम पर टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- वेंकटरमन रामाकृष्णन पर टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- बाह्य प्रोटीन और समाकल प्रोटीन कोशिका कला की पारगम्यता को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
  13. प्रश्न- हरितलवक और माइटोकॉण्ड्रिया में मिलने वाले समान लक्षणों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- परॉक्सीसोम किन कोशिकांगों के साथ मिलकर प्रकाशीय श्वसन (फोटोरेस्पिरेशन) की क्रिया सम्पन्न करता है? प्रकाशीय श्वसन के जैविक कार्यों की समीक्षा प्रस्तुत कीजिए।
  15. प्रश्न- केन्द्रक की संरचना का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- उपयुक्त आरेखों के साथ गुणसूत्र आकारिकी व परासंरचना का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- “गुणसूत्रों की विशेष किस्में” विषय पर एक निबन्ध लिखिए।
  18. प्रश्न- न्यूक्लिक अम्ल क्या होते हैं? डी.एन.ए. की संरचना तथा प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- वाट्सन तथा क्रिक के द्वारा प्रस्तुत डी. एन. ए. की संरचना का वर्णन कीजिए तथा डी. एन. ए. के विभिन्न प्रकार बताइए।
  20. प्रश्न- राइबोन्यूक्लिक अम्लों की रचना का वर्णन कीजिए तथा इसके जैविक एवं जैव-रासायनिक महत्व पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- मेसेल्सन एवं स्टेहल के उस प्रयोग का वर्णन कीजिए जो अर्द्ध-संरक्षी डी. एन. ए. पुनरावृत्ति को प्रदर्शित करता है।
  22. प्रश्न- जेनेटिक कोड पर टिप्पणी लिखिए।
  23. प्रश्न- गुणसूत्रों की रचना एवं प्रकार का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- न्यूक्लिओसोम का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सहलग्नता क्या है? उचित उदाहरण देते हुए इसके महत्त्व की चर्चा कीजिए।
  26. प्रश्न- क्रॉसिंग ओवर को उदाहरण सहित समझाइए तथा इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- सेण्ट्रोसोम की परिभाषा लिखिए।
  28. प्रश्न- क्रोमेटिन के प्रकारों को बताते हुए हेटेरोक्रोमेटिन को विस्तार से समझाइये।
  29. प्रश्न- किसी एक प्रायोगिक साक्ष्य द्वारा सिद्ध कीजिये कि डी.एन.ए. ही आनुवांशिक तत्व है।
  30. प्रश्न- गुणसूत्र पर पाये जाने वाले विभिन्न अभिरंजन और पट्टिका प्रतिमानों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- B गुणसूत्र का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- डी.एन.ए. और आर.एन.ए. में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- RNA कौन-सा आनुवंशिक कार्य DNA की तरह पूरा करता है?
  34. प्रश्न- नीरेनबर्ग तथा एच.जी.खोराना के योगदान का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- क्या RNA का एक स्ट्रेण्ड दूसरा स्ट्रेण्ड संश्लेषित कर सकता है?
  36. प्रश्न- DNA की संरचना फॉस्फोरिक एसिड, पेन्टोज शर्करा तथा नत्रजन क्षार से होती है। इसके वस्तुतः आनुवंशिक तत्व कौन से हैं?
  37. प्रश्न- वाटसन एण्ड क्रिक पर टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- DNA की पुनरावृत्ति में सहायक एन्जाइमों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- कोशिका चक्र से आप क्या समझते हैं? इण्टरफेज में पायी जाने वाली कोशिका चक्र की विभिन्न प्रावस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- समसूत्री कोशिका विभाजन का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए तथा समसूत्री के महत्व पर एक टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- अर्धसूत्री कोशिका विभाजन का सविस्तार वर्णन कीजिए तथा इसके महत्व का उल्लेख कीजिए।
  42. प्रश्न- समसूत्री तथा अर्धसूत्री विभाजन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  43. प्रश्न- एक संकर संकरण क्या है? कम से कम दो उदाहरणों को बताइए।
  44. प्रश्न- स्वतन्त्र अपव्यूहन के नियम को समझाइए।
  45. प्रश्न- एक उपयुक्त उदाहरण देते हुए अपूर्ण प्रभाविकता पर एक टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- जन्तुओं में लिंग निर्धारण की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- मानव में लिंग निर्धारण कैसे होता है?
  48. प्रश्न- लिंग निर्धारण में प्राकृतिक कारकों के प्रभाव का उदाहरण सहित विस्तृत वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- वंशानुगत तथा आनुवंशिकी में अन्तर बताइए।
  50. प्रश्न- आनुवंशिकी का जनक किसको वस्तुतः कहा जाता है?
  51. प्रश्न- समप्रभाविता की वंशागति को समझाइए।
  52. प्रश्न- “समलक्षणी जीवों की जीनी संरचना भिन्न हो सकती है। यह कथन सही है अथवा गलत? क्यों?
  53. प्रश्न- ग्रीगर जॉन मेण्डल के योगदान को रेखांकित कीजिए।
  54. प्रश्न- कौन-सा कोशिका विभाजन गैमीट पैदा करता है?
  55. प्रश्न- स्यूडोडोमिनेंस पर टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- टेस्ट क्रॉस एवं बैक क्रॉस में अन्तर बताइए।
  57. प्रश्न- टेस्ट क्रॉस तथा बैक क्रॉस को समझाइए।
  58. प्रश्न- मानव में बार बॉडी के महत्व को समझाइये।
  59. प्रश्न- लिंग प्रभावित वंशागति एवं लिंग सीमित वंशागति में अन्तर बताइए।
  60. प्रश्न- लिंग सहलग्न, लिंग प्रभावित और लिंग सीमाबद्धित लक्षणों के बीच सोदाहरण विभेदकीजिए।
  61. प्रश्न- मेरी एफ. लिओन की परिकल्पना समझाइए।
  62. प्रश्न- कारण स्पष्ट कीजिए कि नर मधुमक्खी में शुक्राणुओं का निर्माण समसूत्री विभाजन द्वारा क्यों होता है?
  63. प्रश्न- ZW टाइप लिंग निर्धारण पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- पक्षियों में लिंग निर्धारण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- स्तनधारी मादा की शुरूआती अवस्था में कौन-सा X क्रोमोसोम हेट्रोक्रोमेटाइज हो जाता है, माता का या पिता का?
  66. प्रश्न- मल्टीपिल ऐलीलिज्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  67. प्रश्न- Rh-तत्व क्या है? इसके महत्व एवं वंशागति का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- जीन की अन्योन्य क्रिया से आप क्या समझते हैं? उदाहरणों की सहायता से जीन की अन्योन्य क्रिया की विधि का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- सहलग्नता क्या है? उचित उदाहरण देते हुए इसके महत्त्व की चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- क्रॉसिंग ओवर को उदाहरण सहित समझाइए तथा इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- एक स्त्री का रक्त समूह 'AB' व उसके बच्चे का रक्त समूह '0' है। कारण सहित स्पष्ट कीजिए कि उस बच्चे के पिता का रक्त समूह क्या होगा?
  72. प्रश्न- एक Rh + स्त्री, Rh पुरुष से शादी करती है। इनकी संतति में एरेथ्रोब्लास्टोसिस की क्या सम्भावना है?
  73. प्रश्न- लैंडस्टीनर के योगदान का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- रक्त समूह को समझाइए।
  75. प्रश्न- जिनोम को परिभाषित कीजिए।
  76. प्रश्न- 'गृह व्यवस्थापक जीन' या 'रचनात्मक जीन' के बारे में बताइये।
  77. प्रश्न- प्रभावी तथा एपीस्टेटिक जीन में क्या अन्तर है?
  78. प्रश्न- लीथल जीन्स पर टिप्पणी लिखिए।
  79. प्रश्न- पूरक जीन क्रिया को परिभाषित कीजिए।
  80. प्रश्न- गुणसूत्र पर पाये जाने वाले विभिन्न अभिरंजन और पट्टिका प्रतिमानों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- हेट्रोक्रोमेटिन और उसके लक्षण पर टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- क्रासिंग ओवर उद्विकास की प्रक्रिया है। स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- लिंकेज ग्रुप पर टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- सामान्य मानव कैरियोटाइप का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- गुणसूत्रीय विपथन पर एक निबन्ध लिखिए।
  86. प्रश्न- असुगुणिता किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार की असुगुणिताओं का वर्णन कीजिए तथा इनकी उत्पत्ति के स्रोत बताइए।
  87. प्रश्न- लिंग सहलग्न वंशागति से आप क्या समझते हैं? मनुष्य या ड्रोसोफिला के सन्दर्भ में इस परिघटना का उदाहरणों सहित विवेचन कीजिए।
  88. प्रश्न- क्लाइनफिल्टर सिंड्रोम कार्यिकी अथवा गुणसूत्र के असामान्य स्थिति का परिणाम है। स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- मंगोलिज्म या डाउन सिन्ड्रोम क्या है?
  90. प्रश्न- टर्नर सिन्ड्रोम उत्पन्न होने के कारण एवं उनके लक्षण लिखिए।
  91. प्रश्न- समक्षार उत्परिवर्तन पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- अनुप्रस्थ विस्थापन पर टिप्पणी लिखिए।
  93. प्रश्न- पोजीशन एफेक्ट क्या है? उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- लिंग सहलग्नता प्रक्रिया को समसूत्री नर व समसूत्री मादा में स्पष्ट कीजिए।
  95. प्रश्न- वर्णान्ध व्यक्ति रेलवे ड्राइवर क्यों नहीं नियुक्त किये जाते हैं?
  96. प्रश्न- मानव वंशागति के अध्ययन में क्या मुख्य कठिनाइयाँ हैं?
  97. प्रश्न- संक्रामक जीनों से आप क्या समझते हैं?
  98. प्रश्न- वंशावली विश्लेषण पर टिप्पणी लिखिए।
  99. प्रश्न- लिंग सहलग्न वंशागति के प्रारूप का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- अफ्रीकी निद्रा रोगजनक परजीवी की संरचना एवं जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- वुचरेरिया बैन्क्रोफ्टाई के वितरण, स्वभाव, आवास तथा जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- जिआर्डिया पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  103. प्रश्न- एण्टअमीबा हिस्टोलायटिका की संरचना, जीवन-चक्र, रोगजन्यता एवं नियंत्रण का वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- अफ्रीकी निद्रा रोग क्या है? यह कैसे होता है? इसके संचरण एवं रोगजनन को समझाइए। इस रोग के नियंत्रण के उपाय बताइए।
  105. प्रश्न- फाइलेरिया क्या है? इसके रोगजनकता एवं लक्षणों तथा निदान का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- जिआर्डिया के प्रजनन एवं संक्रमित रोगों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- जिआर्डिया में प्रजनन पर टिप्पणी लिखिए।
  108. प्रश्न- जिआर्डिया पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

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